कांग्रेस के खोले मेवात मॉडल स्कूलों को बंद करने की चल रही साजिश
कभी महीनों तनख्वाह का इंतजार करता स्टाफ, कभी यूनिक आईडी के लिए होता संघर्ष
चंडीगढ़ :
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, उत्तराखंड की प्रभारी, सीडब्ल्यूसी की सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा की प्रदेश सरकार मेवात के बच्चों को अशिक्षित रखने का षड्यंत्र रच रही है। इन बच्चों को अच्छी शिक्षा मुहैया कराने के लिए खोले गए मॉडल स्कूलों को बंद करने की साजिश रच रही है। शिक्षा विभाग में समायोजित करने के बाद भी इन स्कूलों के स्टाफ को कई माह तक तनख्वाह का इंतजार करना पड़ता है। कभी इन्हें नियुक्ति पत्र हासिल करने के लिए आवाज उठानी पड़ती है, तो कभी यूनिक आईडी के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि मेवात मॉडल स्कूलों की स्थापना मेवात मॉडल स्कूल सोसायटी के तहत की गई थी। इन स्कूलों का संचालन सीबीएसई के पैटर्न पर होता है, और इनकी संबद्धता भी सीबीएसई से ही है। इस सोसायटी को मेवात विकास प्राधिकरण के तहत चलाया जाता था। लेकिन, भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की तत्कालीन सरकार ने इन्हें प्राधिकरण से छीनकर शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया। इसके बाद से बार-बार करीब 250 शिक्षकों व 100 से अधिक नॉन टीचिंग स्टाफ के सामने महीनों-महीनों तक तनख्वाह न मिलने का संकट खड़ा हो जाता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि समायोजन के बाद स्कूलों में तैनात स्टाफ को नियुक्ति पत्र शिक्षा विभाग की ओर से नहीं दिए गए हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इन स्कूलों को यूनिक आईडी के लिए भी मशक्कत करनी पड़ी। कितनी ही बार वेतन के लिए महीनों तक स्टाफ को इंतजार करना पड़ता है। अब फिर वे तीन महीने से तनख्वाह का इंतजार कर रहे हैं।
कुमारी सैलजा ने कहा कि मेवात में 08 मॉडल स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए खोले गए थे। इनमें स्टाफ व शिक्षकों की मेहनत के कारण आशा के अनुरूप परिणाम आने भी शुरू हो गए। लेकिन, भाजपा सरकार को यह तरक्की हजम नहीं हुई और मेवात में बेहतर शिक्षा के विकल्प को बंद करने का षड्यंत्र रचना शुरू कर दिया। इसी षड्यंत्र के तहत मेवात मॉडल स्कूलों का समायोजन शिक्षा विभाग में कर दिया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार को इन स्कूलों के स्टाफ की सुध लेते हुए तुरंत इन्हें शिक्षा विभाग की ओर से नियुक्ति पत्र जारी करने चाहिए। साथ ही सुनिश्चित करना चाहिए कि इनकी तनख्वाह जारी होने में कभी भी देरी नहीं होगी। इसके अलावा जब ये स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन आ गए हैं तो फिर इनके शिक्षकों व स्टाफ को शिक्षा विभाग का कर्मचारी बताने वाले नियुक्ति पत्र जारी न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।