खाद के कट्टे का वजन घटाते-घटाते 50 से 40 किलोग्राम पर ले आई भाजपा सरकार
2022 तक किसान की आमदनी दोगुनी करने का दावे करने वालों ने खर्चे कर दिए दोगुने
चंडीगढ़: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि साल 2022 तक किसान की आमदनी दोगुनी करने का वादा करने वाली भाजपा की केंद्र सरकार ने आमदनी की बजाए फसल तैयार करने में होने वाले खर्चों को दोगुना कर दिया है। यूरिया के कट्टे का वजन घटाते-घटाते 50 से 40 किलोग्राम पर ले आए हैं। यूरिया बैग का घटा वजन किसान के लिए घाटे का सौदा बन गया है। इससे फसल पर आने वाली लागत में बढ़ोतरी से कोई नहीं रोक सकता।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि यूरिया के बैग का वजन 40 किलोग्राम करना भाजपा की केंद्र सरकार का सरासर किसान विरोधी कदम है। अन्नदाता का किसी न किसी बहाने उत्पीड़न करने में इन्हें आनंद आता है। इसलिए पहले यूरिया के 50 किलोग्राम वाले बैग का वजन घटाकर 45 किलोग्राम किया गया और अब उसी बैग को 5 किलोग्राम और घटाते हुए 40 किलोग्राम पर ले आए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले 250 रुपये में 50 किलोग्राम यूरिया बैग मिलता था। जिसमें 46 प्रतिशत नाइट्रोजन मिलती थी। यानी, एक बैग में 23 किलोग्राम नाइट्रोजन होती थी। अब 250 रुपये में 40 किलोग्राम यूरिया मिलेगा और इसमें 37 प्रतिशत नाइट्रोजन होगी। मतलब, अब एक बैग में 15 किलोग्राम ही नाइट्रोजन मिल सकेगी। कुमारी सैलजा ने कहा कि खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार गेहूं, धान और मक्का आदि फसलों की एक टन पैदावार के लिए 75 किलोग्राम नाइट्रोजन की जरूरत पड़ती है। लेकिन, मात्रा घटाए जाने के कारण अब किसानों को 5 बैग यूरिया डालना पड़ेगा। इससे सल्फर भी खेतों में अधिक डल जाएगा और इससे फायदा की बजाए फसलों में नुकसान की संभावना ज्यादा बन जाएंगी।
उन्होंने कहा कि इतना सब होने के बावजूद प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार मूकदर्शक बनी हुई है, जबकि प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से किसानों के विरोध भरे स्वर आने शुरू हो गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा सत्ता हासिल करने के लिए लोगों से झूठे वादे करती है। सत्ता में आने के बाद अपने वादों के विपरीत कार्य करती है। इसलिए आमदनी बढ़ाने की बजाए फसलों की लागत को बढ़ाने की हर संभव कोशिश भाजपा की केंद्र सरकार करती है। किसानों को आर्थिक तौर पर सक्षम बनाने की बजाए उन्हें लूटने के नए-नए तरीके ईजाद किए जाते हैं। अपने इस उत्पीड़न को किसान बखूबी समझ चुके हैं और अब किसान विरोधी भाजपा को सत्ता से बेखदल करने के लिए पूरी तरह से कमर कस चुके हैं।