चंडीगढ़:
टैगोर थिएटर में चल रहे दस दिवसीय अखिल भारतीय भास्कर राव नृत्य और संगीत सम्मेलन के 53वें संस्करण में सुप्रसिद्ध ध्रुपद वादक समित मल्लिक का भावपूर्ण ध्रुपद गायन और पद्मभूषण ग्रैमी पुरस्कार विजेता और मोहन वीणा कलाप्रवीण पं. विश्वमोहन भट्ट मोहन वीणा और उनके बेहद प्रतिभाशाली बेटे और सात्विक वीणा के निर्माता पंडित सलिल भट्ट सात्विक वीणा की खूबसूरत जुगलबंदी पेश की। इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कौसर , सचिव श्री सजल कौसर भी उपस्थित थे। इस अवसर पर आज प्रो डॉ जगबीर सिंह, स्टेट इन्फोर्मशन कमिश्नर , हरियाणा ने वशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।
कार्यक्रम की शुरुआत समित मलिक के भावपूर्ण ध्रुपद से हुई। उन्होंने राग मारवा के साथ एक विस्तृत आलाप के साथ शुरुआत की और उसके बाद समिट ने भावपूर्ण चौताल पद “बंसी नटवर बजावे” गाया और सहज ही दर्शकों को अपने से जोड़ लिया इसके बाद उन्होंने राग केदार में निबद्ध धमार प्रस्तुत किया जिसके बोल थे बोल कान्हा पिचकारी काहे मारी। होली के मौसम के अनुरूप बंदिश सुन कर दर्शक भी झूम उठे । समिट ने सूल ताल में निबद्ध बंदिश “राम नाम लीजे” के साथ कार्यक्रम का समापन किया। उनके साथ प्रख्यात पखावज वादक पंडित रविशंकर उपाध्याय. ने कुशल संगत की।
दूसरी प्रस्तुति में ग्रैमी पुरस्कार विजेता पदमभूषण पंडित विश्व मोहन भट्ट और सात्विक वीणा वादक तंत्री सम्राट पंडित सलिल भट्ट के साथ दर्शकों पर एक से बढ़कर एक रागों की वर्षा की। मोहन वीणा – सात्विक वीणा की जुगलबंदी में राग विश्व रंजिनी, राग भोपाली धुन, ग्रैमी पुरस्कार विजेता रचना ‘मीटिंग विथ द रिवर ‘ जैसे कई रागों को प्रस्तुत करके श्रोताओं को प्रफुल्लित किया.
राग यमन में पिता और पुत्र की गतिशील युगल बंदिश ने दर्शस्कों की खूब तालिया बटोरी। इस जोड़ी ने राग जोग में सजी रचना वंदे मातरम से समापन किया। तबला वादक पं. रामकुमार मिश्रा के साथ खरताल पर कुतला खान ने सराहनीय संगत की और संगीत कार्यक्रम को चार चाँद लगा दिए।
डॉ समित कुमार मल्लिक दरभंगा घराने/मल्लिक घराने के प्रतिष्ठित संगीत परिवार से हैं और इस संगीत वंश की 13वीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। ध्रुपद में उनका प्रशिक्षण कम उम्र में ही उनके गुरु और पिता पद्मश्री पंडित राम कुमार मलिक, एक विश्व प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीतकार।के मार्गदर्शन में शुरू हो गया था। उन्हें अपने दादा विश्व प्रसिद्ध ध्रुपद लीजेंड पंडित विदुर मलिक. से सीखने का सौभाग्य मिला। वह ऑल इंडिया रेडियो और टेलीविजन के नियमित प्रसारक हैं, और ध्रुपद में आकाशवाणी और टीवी के एक प्रसिद्ध ‘ए’ ग्रेड कलाकार हैं और उन्होंने पूरे भारत में कई प्रतिष्ठित संगीत समारोहों में सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है।
पंडित विश्व मोहन भट्ट हिंदुस्तानी संगीत के विश्व प्रख्यात कलाकार हैं और सितार वादक एवं गुरु रविशंकर के सबसे प्रसिद्ध शिष्यों में से एक हैं। जुलाई 1952 में राजस्थान के जयपुर में जन्मे, वह शशि मोहन भट्ट के छोटे भाई हैं; जो 1949/50 के आसपास शंकर के साथ अध्ययन करने वाले पहले तीन छात्रों में से एक हैं। उनकी अधिकांश प्रारंभिक संगीत शिक्षा उनके परिवार से हुई। उनके पिता मनमोहन भट्ट ने पढ़ाया और एक पुत्र के रूप में विश्व मोहन भट्ट जी ने अपने पिता के गायन, रचनाओं और रागों को आत्मसात किया। विश्व प्रसिद्ध मोहन वीणा वादक के पुत्र, पंडित सलिल भट्ट को बहुत ही कम उम्र से ही संगीत सीखना शुरू किया और आज सलिल ने संगीत जगत में अपनी एक विशिष्ट जगह बनाई है
सचिव श्री सजल कौसर और गुरु शोभा कौसर ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह एवं उत्तरिया देकर सम्मानित किया। श्री सजल कौसर ने इस महोत्सव को सफल बनाने के लिए प्रतिष्ठित दर्शकों, कलाकारों और मीडिया को उनके अद्भुत समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।