खूबसूरत संगीत और नृत्य प्रस्तुतियों से भास्कर राव संगीत सम्मेलन का भव्य आगाज
चंडीगढ़:
प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित 53वें भास्कर राव नृत्य एवं संगीत सम्मेलन का आगाज आज यहां टैगोर थियेटर में हुआ । केन्द्र पिछले साठ दशकों से भारतीय कला एवं संस्कृति के प्रचार एवं प्रसार में निरंतर कार्यरत है । देशभर में कार्यक्रमों का आयोजन केन्द्र की सांस्कृतिक नियमित गतिविधियों में से एक है और इसी कड़ी में केन्द्र अपने वार्षिक बहुआयामी एवं प्रसिद्ध अखिल भारतीय भास्कर राव नृत्य एवं संगीत सम्मेलन के 53वें संस्करण में देश के जाने माने कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध करेंगें ।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री आर सी मिश्रा , डायरेक्टर जनरल पुलिस, हरियाणा ने शिरकत की । इस अवसर पर केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर,सचिव सजल कौसर,इत्यादि भी उपस्थित थे ।
आज के कार्यक्रम की शुरूआत में मुख्य अतिथि श्री आर सी मिश्रा जी ने सम्मेलन का उद्घाटन किया ।पारम्परिक द्वीप प्रज्वलन की रस्म के पश्चात मुंबई गन्धर्व मंडल के प्रेजिडेंट श्री बाला साहिब सूर्यवंशी , रजिस्ट्रार श्री विश्वास जाधव , सचिव श्री सुधाकर चवन, तथा सलाहकार डॉ जयंत कुलकर्णी तथा भातखण्डे विद्यापीठ लखनऊ से श्रीमती मीरा माथुर तथा जाने माने संगीतज्ञ श्री देवेंद्र वर्मा ब्रजरंग विशेष अतिथि के रूप में पधारे और मुख्य अतिथि द्वारा सबको पुष्प , मोमेंटो एवं पीकेके के उत्तरीया से सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम के पहले भाग में मुंबई से आये जाने माने वायलिन वादन दीपक पंडित द्वारा वायलिन वादन पेश किया गया जिसमें इन्होंनें पारम्परिक आलाप के बाद राग किरवानी से कार्यक्रम की शुरूआत की और जोड़ झाला पेश किया इसके उपरांत एक विशेष प्रस्तुति में रागमाला पेश की तथा खूबसूरत बंदिशों से कार्यक्रम को और भी खूबसूरत रंग में रंग दिया। कार्यक्रम के अंत में इन्होंनें पंजाब अंग की भैरवी पेश की जिसे दर्शकों ने खूब सराहा । इनके साथ तबले पर जाने माने तबला वादक देबजीत पतिटुंडी जो की युवा पीढ़ी में अपनी नयी पहचान बना चुके हैं ने तबले पे और श्री श्रीदर पार्थसारथी ने सधी हुई संगत करके कार्यक्रम को चार चाँद लगा दिए।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में जानी मानी भरतनाट्यम नृत्यांगना रमा वैद्यनाथन ने अपने समूह के साथ भरतनाट्यम नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुति पेश की । इनकी प्रस्तुति का नाम प्रतिबंधना था। भगवान को समर्पित प्रस्तुति में तिरुवेम्पावई – मणिक्क्य वाचकर की कविता से तमिल छंद से ली गयी है जिस में अज्ञानता की नींद से जागने और सर्वोच्च चेतना के प्रकाश के लिए जागने का एक रूपक है और इस चेतना को नृत्य के माध्यम से पेश किया गया है। इस नृत्य नाटिका में संगीत रचना सुधा रघुरामन की है।
नृत्य की दूसरी प्रस्तुति में पवित्र शहर बनारस का वर्णन है, जहां सत्य की खोज करने वाले हर व्यक्ति का हमेशा स्वागत है। यह एक ऐसा स्थान है जो आपको आनंद, स्वतंत्रता और खुशी देता है। यह वही स्थान है जहां भगवान विश्वेश्वर निवास करते हैं। यह वह स्थान है जहां गंगा नदी के किनारे जीवन और मृत्यु दोनों का जश्न मनाया जाता है। यह वह जगह है जहां योगी और अघोर आध्यात्मिक अनुभूति की तलाश में जीवन त्याग देते हैं। इस पवित्र शहर का साक्षात् विवरण नृत्य प्रस्तुति के माध्यम से दिया गया है।
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति में रास मंडल में सूरदास का भजन नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है जिस में रास लीला का वर्णन है जो चक्र अनंत जीवन और निरंतरता का प्रतीक है और रास मंडल हमेशा जीवंत नृत्य के घेरे में रहता है।
समूह में प्रीतम दस , निलाव सेन , शुभमणि , वैष्णवी , रेशिका , कीर्तना रोहिणी एवं सौम्या ने भाग लिया ।
इसके साथ संगत कलाकारों में सुधा रघुरामन ने गायन, हिमांशु श्रीवास्तव ने नट्टुवंगम , सनिधि वैद्यनाथन ने मृदंगम , जी रघुरामन बांसुरी और जाया सील ने लाइट्स पर बखूबी संगत की।
कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को मोमेंटो और उत्तरीया से सम्मानित किया गया।
हर रोज सांय 6 :30 बजे से इस कार्यक्रम का स्टेज से सीधा प्रसारण भी किया जाएगा ।