एचएसवीपी ने एन्हासमेंट के नाम पर हाउसिंग सोसाइटियों पर डाली थी अरबों की देनदारी
चंडीगढ़:
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सेक्टर 24 की ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों में रहने वाले परिवारों को बड़ी राहत दी है। इन परिवारों से हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) एनहासमेंट के नाम पर करोड़ों रुपये की मांग कर रहा था, लेकिन अब हाईकोर्ट ने कहा कि सेक्टर में बाद में जोड़े गए अतिरिक्त क्षेत्र के लिए अलॉटियों पर कोई देनदारी नहीं बनती। न्यायमूर्ति अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति विक्रम अग्रवाल की बेंच ने यह फैसला सुनाया। सेक्टरवासी इस समस्या के समाधान के लिए 2013 से लड़ाई लड़ रहे थे और वर्तमान मामला हाईकोर्ट में वर्ष 2017 से लंबित था।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने 1989 की अधिसूचना के तहत वर्ष 1997 में पंचकूला के सेक्टर 24 से सेक्टर 28 के लिए भूमि अधिग्रहित की थी। उस वक्त सेक्टर 24 में मात्र 44 एकड़ भूमि शामिल थी। इसके बाद वर्ष 2011-12 में सेक्टर 24 के साथ लगती घग्गर नदी की 76 एकड़ जमीन को इस सेक्टर में शामिल कर लिया गया। इस कारण से यहां पहले से ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों को अलॉट की गई भूमि की एनहासमेंट की रकम बढ़ा दी गई। यह रकम इतनी बड़ी थी कि प्रत्येक सोसाइटी पर करोड़ों रुपये की देनदारी हो गई।
सेक्टर वासियों को 19 एकड़ के बिक्री योग्य क्षेत्र के मुकाबले 100 एकड़ सामान्य जमीन पर भूमि लागत वृद्धि का भुगतान करने को कहा गया। तब प्रत्येक ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी को 6021.56 रुपये प्रति वर्ग गज की दर से पहली भूमि लागत वृद्धि जारी की गई थी। बाद में ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी को 8899 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दूसरी भूमि लागत वृद्धि जारी की गई। इस प्रकार 14,920 रुपये प्रति वर्ग गज भूमि लागत में वृद्धि कर दी गई।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के नोटिस के खिलाफ सेक्टर 24 स्थित हिमप्रस्थ को-ऑपरेटिव ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी और अन्य की तरफ से वर्ष 2017 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका में कहा गया कि 76 एकड़ क्षेत्र को जोड़कर एनहासमेंट की रकम बनाया जाना सेक्टरवासियों के साथ अन्याय है।
एचएसवीपी की ओर से 22 अगस्त 2019 को जारी नोटिस का भी हवाला दिया गया। इसमें कहा गया था कि घग्गर नदी के संबंध में मुआवजे में वृद्धि का बोझ आवंटियों या भूखंड धारकों पर नहीं डाला जाएगा। उनकी दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने यह रकम 2255 रुपये प्रति वर्ग गज निर्धारित की है।
सेक्टर 24 की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान एच डी शर्मा और महासचिव उपेंद्र पाठक का कहना है कि एनहासमेंट की यह रकम इतनी बड़ी थी कि यहां रहने वाले प्रत्येक फ्लैट धारक को करीब 25 से 30 लाख रुपये प्रति फ्लैट देना पड़ता। प्रत्येक ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के लिए यह रकम करीब 10 से 12 करोड़ रुपये बनती।
हिमप्रस्था को-ऑपरेटिव ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के प्रधान दिवाकर शर्मा का कहना है कि हाईकोर्ट के इस निर्णय से फ्लैट धारकों को बड़ी राहत मिली है, जिससे सेक्टर में खुशी की लहर बनी है।