चंडीगढ़: “इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है, नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो है”
“इक चिंगारी कहीं से ढूंढ लाओ ए दोस्तों, इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है”
बात सिर्फ इतनी सी है कि आपको अपने अंदर छिपी हुई ऊर्जा की आखिरी हद और पसीने की आखिरी बूंद तक प्रयास करना है, बाकी सब खुद-ब- खुद होता चला जाएगा।
युवा रंगकर्मी और फ़िल्म एक्टर नवदीप बाजवा ने अपने रूबरू सेशन की शुरुआत कवि दुष्यंत कुमार की कुछ इन्हीं पंक्तियों से की। यादों की गलियों में झांकते हुए और कुछ भावुक होते हुए नवदीप ने बताया कि यह समय का चक्र ही है, क्योंकि कुछ वर्ष पहले जब यह 30 दिवसीय नाट्य कुंभ शुरू हुआ था तो यही मंच था , यही सहयोगी कलाकार थे , ट्राई सिटी के दर्शक और चारों तरफ अबो हवा में कला ही कला बिखरी हुई थी और आज भी वही मंच है, वही सहयोगी कलाकार और वही ट्राई सिटी के दर्शक और चारों तरफ कला का समन्वय ….बस इसमें अद्भुत परिवर्तन यह हुआ कि मैं उस वक्त बैक स्टेज पर रूबरू की तैयारियों में मशगूल था और आज बतौर अतिथि यहां शिरकत कर रहा हूं। यह किसी सपने से कम नहीं है, पर सपने भी तभी जीवंत होंगे जब जाग कर मेहनत और समर्पण के साथ काम करेंगे , चाहे किसी भी क्षेत्र में हम जाना चाहते हैं। आपके सपनों में परिवार और गुरुजनों का सहयोग बहुत ज़रूरी है, और मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे दोनों का ही भरपूर साथ मिला।
नवदीप बताते हैं कि वह अभी एक अच्छा एक्टर बनने की प्रक्रिया में हैं ,मगर थिएटर से जुड़ने पर जो असल प्राप्ति हासिल होती है उसमें वह काफी हद तक सफल रहे हैं और वह है एक बेहतर इंसान बनने की प्रक्रिया । थिएटर फिल्मों में जाने का एक माध्यम है, यह एक सत्य हो सकता है परंतु यह केवल उसका एक छोटा सा हिस्सा भर है। यही भूल अक्सर युवा कर बैठते हैं कि वह थिएटर को सीधे फिल्मों से जोड़कर देखने लगते हैं। यह एक लंबी प्रक्रिया है और यह दो-चार दिन या कुछ महीने ना लेकर वर्षों का अभ्यास मांगती है और इस प्रक्रिया में पहले आप बतौर इंसान अपने अंदर अद्भुत परिवर्तन का अनुभव करते हैं और फिर बात आती है क्राफ्ट की। जिसने अभ्यास किया है उसे आज नहीं तो कल या कुछ समय तक फिल्म इंडस्ट्री में काम मिल ही जाएगा , पर उससे पहले एक कलाकार की कुछ नैतिक जिम्मेदारी होती है समाज और परिवार के प्रति, जिसके लिए उसे कुछ जागरूक और वैचारिक तौर पर सकारात्मक होना पड़ता है और इसके लिए रंगमंच से बेहतर प्लेटफॉर्म कोई हो नहीं सकता। आजकल की पीढ़ी हर क्षेत्र में जल्दी परिणाम चाहती है, इसका कारण है खुद पर संयम ना होना और कई बार इसका कारण पारिवारिक भी हो सकता है क्योंकि हर माता-पिता चाहते हैं कि हमारा बेटा या बेटी जल्दी कमाना शुरू करें। जीवन यापन के लिए कमाना जरुरी है, लेकिन मानसिक संतुलन बरकरार रखते हुए। जिस भी क्षेत्र में आप जाना चाहते हैं उसमें सफल होने का इतना दबाव न ले लें कि आप मानसिक तौर पर उसे झेल ही ना पाएं।
नवदीप ने बताया की थिएटर में दिए गए समय का उन्हें सिनेमा में बहुत लाभ हो रहा है। मसलन अभी हाल ही में पीटीसी पर आई सीरीज “मोहरे” में उन्होंने जिस नौसिखिए युवा का किरदार किया है, उसकी प्रेरणा उन्हें कोर्ट मार्शल में किए गए अपने किरदार बीडी कपूर से ही मिली। तो थिएटर में बिताया गया समय आपके जीवन में तो काम आएगा ही, साथ ही भविष्य में निभाए जाने वाले किरदारों की संरचना में भी आप उन पहलुओं का इस्तेमाल कर सकते हैं। पसंदीदा किरदार पर पूछे गए सवाल पर नवदीप ने बताया की पंजाबी नाटक हुण मैं सेट हां में निभाया छात्र का किरदार, कोर्ट मार्शल में बीडी कपूर और जिस लाहौर नी वेख्या का मिर्जा का किरदार उनके दिल के सबसे करीब हैं और यह ऐसे किरदार है जो ता उम्र मेरी स्मृतियों में जीवंत रहेंगे और प्रेरणादायक भी। तीनों किरदार भाषा, पृष्ठभूमि और आयु वर्ग के हिसाब से आपस में भिन्न थे।
अपने सफ़र के सबसे यादगार क्षणों को याद करते हुए नवदीप ने बताया की थिएटर का शुरुआती दौर था , जब वह सुबह 7:00 बजे एक नाटक की रिहर्सल करते थे और दोपहर 12:00 बजे दूसरे नाटक की रिहर्सल स्थल पर हाजिरी देते थे और शाम को थिएटर फार थिएटर की प्रस्तुतियों की रिहर्सल पर चले जाते थे। यह उस मेहनत और समर्पण का ही नतीजा है कि आज सिनेमा में भी कुछ ऐसे ही शेड्यूल करने को मिले। जैसे बीते दिनों मैं सुबह एक शॉर्ट फिल्म के शूट से निकला और एक फीचर फिल्म के सेट पर पहुंचा और वहां से निकलकर रात को एक टीवी सीरियल के सेट पर पहुंचा।
बस आज फ़र्क इतना है कि वह संघर्ष साइकिल पर था और अब सफर गाड़ी पर जारी है । और मैं चाहता हूं कि इस गाड़ी में मेहनत, संयम और समर्पण का ईंधन कभी ख़त्म ना हो और यह सफ़र यूं ही जारी रहे।
अपने 10 वर्षों के अनुभव के पिटारे में नवदीप बाजवा अनेकों पंजाबी और हिंदी नाटकों के अलावा 5 लघु फिल्में जिनमें चिट्ठी ,पतवार ,सरपंची लेणी है,
लिविंग विद ए स्ट्रेंजर, टेरर इन द सबअर्ब शामिल हैं। फीचर लेंथ फिल्म की बात करें तो निक्का जेलदार, खिददो खुंडी , 15 लाख कदो आउगा , पुआडा
, सीतो मरजानी में मुख्य भूमिका निभाने का मौका मिला ,जिसमें जोडी हाल ही में रिलीज़ हुई।
छोटे पर्दे की बात करें तो 4 कैमियो किरदार दुर्गा स्टार प्लस पर, तू पतंग मैं डोर ज़ी पंजाबी पर, ज़ी पंजाबी पर ही छोटी जेठानी और तियां मेरियां बेहद यादगार किरदार रहे। आगामी प्रोजेक्ट्स पर बात करते हुए नवदीप बताते हैं कि रब्बा मैनू माफ करी, अदाकार, उचियां उडारियां और मृत्युलोक बहुत जल्द पर्दे पर आने वाली है और उम्मीद है कि दर्शक पहले की तरह ही उनके इन किरदारों को भी बेशुमार प्यार से नवाजेंगे।