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BHU study finds Corona Vaccine speed up production of Antibody in those people who recovered from Covid-19 | BHU की स्टडी में बड़ा दावा, Corona से ठीक हुए लोगों के लिए वैक्सीन की सिर्फ 1 डोज है काफी

नई दिल्ली: बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (Banaras Hindu University) के 5 वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में पाया है कि एक बार कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित हो चुके लोगों को वैक्सीन की एक डोज ही पर्याप्त है. बता दें कि मौजूदा समय में लोगों को कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की 2 डोज लगाई जा रही है.

10 दिन में ही बन जाती है पर्याप्त एंटीबॉडी

कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में वैक्सीन (Corona Vaccine) की पहली खुराक 10 दिन के अंदर पर्याप्त एंटीबॉडी बना देती है. ये एंटीबॉडी कोरोना से लड़ने में कारगर होती हैं. जबकि जो कोरोना संक्रमित नहीं हुए हैं, उनमें वैक्सीन लगने के बाद एंटीबॉडी बनने में 3 से 4 हफ्ते का समय लगता है.

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वैज्ञानिकों ने पीएम मोदी को दिया सुझाव

वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिख कर सुझाव दिया है कि कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के लिए वैक्सीन (Corona Vaccine) की एक डोज ही अनिवार्य रखें. इससे वैक्सीन का संकट भी कम हो जाएगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक समय से वैक्सीन पहुंच सकेगी.

क्या है BHU के प्रोफेसर्स की स्टडी?

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (Banaras Hindu University) के प्रोफेसर्स ने 20 लोगों पर एक पायलट स्टडी की है. नेचुरल एंटीबॉडी की भूमिका और इसके फायदों पर रिसर्च किया गया. स्टडी में यह बात सामने आई है कि कोरोना से ठीक हुए लोगों में तेजी से एंटीबॉडी बनी और इसमें सिर्फ 10 दिन का समय लगा. वहीं सामान्य लोगों में दोनों डोज के 21 से 28 दिन में एंटीबॉडी बनी.

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BHU की स्टडी की 4 बड़ी बातें

1. कोरोना से ठीक होने के बाद वैक्सीन की एक डोज काफी
2. कोरोना से रिकवर हुए लोगों में 10 दिन में बन जाती है एंटीबॉडी
3. कोरोना नहीं हुआ, तो दोनों डोज के 3-4 हफ्ते बाद एंटीबॉडी बनेगी
4. कोरोना से ठीक होने वालों में कुछ महीनों तक रहती है एंटीबॉडी

BHU की स्टडी में कौन शामिल?

प्रो. वीएन मिश्र, न्यूरोलॉजी विभाग
प्रो. अभिषेक पाठक, न्यूरोलॉजी विभाग
प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे, ज़ूलॉजी विभाग
प्रज्ज्वल सिंह, ज़ूलॉजी विभाग
प्रणव गुप्ता, ज़ूलॉजी विभाग

इस स्टडी के दो फायदे होंगे

चिंता की बात ये है कि एंटीबॉडी (Antibody) कुछ महीनों में खत्म हो जाती है. दूसरी चिंता की बात ये कि वैक्सीन कंपनियों की उत्पादन क्षमता सीमित है. हालांकि इस स्टडी के दो फायदे होंगे. पहला वैक्सीन लगाने की प्राथमिकता तय होगी. यानी किसे वैक्सीन पहले दें, ये तय कर सकेंगे. कोरोना से ठीक हुए लोगों से पहले उन्हें वैक्सीन (Corona Vaccine) दे सकेंगे, जिन्हें अब तक कोरोना नहीं हुआ है. दूसरा फायदा ये कि कंपनियां उत्पादन कम भी करें, फिर भी सभी को वैक्सीन मिल पाएगी.

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Author: DP Bureau

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