चंडीगढ़ :
प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित किया जा रहा भास्कर राव सम्मेलन के नौवां दिन आज का दिन बहुत खास रहा । आज केन्द्र के दस दिवसीय सम्मेलन को अपना आशीर्वाद देने माननीय राज्यपाल पंजाब एवं प्रशासक यूटी चंडीगढ़ श्री बनवारी लाल पुरोहित जी मुख्य अतिथि के रूप में पधारे ।
उन्होंने केन्द्र के कला जगत के लिए निस्वार्थ प्रयासों की सराहना की तथा शास्त्रीय कलाओं के प्रचार एवं प्रसार में केन्द्र के पिछले छः दशकों की निरंतर सेवा को अपने प्रेम रूपी शब्दों से प्रोत्साहित किया ।
इस अवसर पर उनके स्वागत के लिए केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर,सचिव श्री सजल कौसर भी उपस्थित थे ।
पारम्परीक द्वीप प्रज्वलन के पश्चात माननीय राज्यपाल को पुष्प,शाल,उतरीया एवं मोमेंटो देकर डॉ.शोभा कौसर एवं प्रो.अरूण ग्रोवर द्वारा सम्मानित किया गया ।
इसके उपरांत केन्द्र की परम्परा के अनुसर संगीत जगत में उल्लेखनीय योगदान के लिए जानीमानी हस्तियों को सम्मानित किया गया जिनमें शास्त्रीय गायक एवं गुरू प्रो.सौभाग्य वर्धन एवं भरतनाट्यम गुरू सुचित्रा मित्रा को सम्मानित किया गया । इस सम्मान समारोह में इन दोनों हस्तियों को शाल,स्मृति चिन्ह,मोमेंटो तथा धनराशि पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
आज के कार्यक्रम में कोल्हापुर से आई शालमली जोशी के शास्त्रीय गायन एवं रोनू मजूमदार व उनके समूह द्वारा तंत्रवाद्यों से सजी वाद्य चौकड़ी ने खूब रंग जमाया । कार्यक्रम की शुरूआत
शालमली के गायन से हुई जिसमें उन्होंने राग भूप नट में आलाप के बाद बड़ा ख्याल विलम्बित झपताल की रचना ‘मालनीया लाई सेहरा गूंद चुन चुन कलियां’ पेश की और इसके बाद शालमली की प्रभावी एवं बेजोड़ आवाज से सजी द्रुत बंदिश की एकताल में निबद्ध रचना ‘सरस्वती प्रसाद दीजे अपनी दया से’ पेश की ।
गाने के पारम्परिक अंदाज में उनकी गमकदार आवाज में राग देस होरी में द्रुत आड़ा चौताल में ‘होरी खेले कन्हाई’ प्रस्तुत की । कार्यक्रम के अंत मंे उन्होंने मीरा भजन पर आधारित ठुमरी पेश करके कार्यक्रम का समापन किया । इनके साथ तबले पर श्री देवाशीश अधिकारी ने तबले पर और सुमित मिश्रा ने हारमोनियम पर बखूबी संगत करके समां बांधा ।
इनके पश्चात रोनू मजूमदार व उनके समूह ने मंच संभाला और राग भूपाली जिसे कर्नाटकी पद्वति में मोहनम राग भी कहा जाता है से शुरूआत की और इनके साथ विद्वान आर.कुमरेश ने वायलिन,पंडित आदित्य कल्याणपुर ने तबला और विद्वान हरिकुमार ने मृदंगम पर चौकड़ी जमाई। इन चारों ने आलाप के बाद रूपक ताल एवं मिश्र चप्पू के सम्मिश्रण को इन वाद्ययंत्रों पर प्रस्तुत करके दर्शकों को सरस अनुभव करवाया ।
इसके उपरांत राग भीमपलासी में प्रस्तुति पेश की और तीन ताल से सजी बंदिश दर्शनीय थी । वाद्यों को बजाने की तकनीक और रागों का शुद्धता से प्रस्तुतिकरण में इन चारों को महारत हासिल है । कार्यक्रम के अंत में एक रोचक जुगलबंदी तबला और मृदंगम की पेश की गई जिसमें आदित्य कल्याणपुर एवं हरिकुमार ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों की खूब तालियां बटोरी ।
कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को उतरीया और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया ।
केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर ने बताया कि कल पंडित रितेश मिश्रा एवं पंडित रजनीश मिश्रा की गायन पर जगुलबंदी और विदुषी विधा लाल एवं उनके समूह द्वारा कत्थक नृत्य से भास्कर राव का अंतिम दिन सजेगा ।