पंजाब कला भवन में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट जतिन सलवान की दूसरी काव्य रचना मुंतज़िर का विमोचन पद्मश्री सुरजीत पातर द्वारा हुआ।
पंजाबी लेखक सभा, पंजाब कला परिषद के तत्वावधान में पद्मश्री डॉ. सुरजीत सिंह पातर की मौजूदगी में पंजाब कला भवन मे जनरल वी पी मलिक, के के रत्तू, ओजस्वी शर्मा, सर्वप्रिय निर्मोही अर्चना सिंह , बलकार सिद्धू ,हरदीप चांदपुरी , अमूल्य शुक्ला , सीनियर एडवोकेट आर एस चीमा , रंजना मलिक व अन्य सहित्यकारों व साहित्य प्रेमियों की मौजूदगी में हुआ।
अपनी सफ़ल काव्य रचना फूड़ी के पश्चात जतिन की दूसरी काव्य रचना मुंतज़िर उनकी उर्दू कविताओं का संग्रह है (देवनागरी लिपि में) , वैसे तो जतिन पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत करते हैं लेकिन दिल का फ़लसफ़ा अक्सर जुबां पर आ ही जाता है , तो क्यों न उन्हें कलमबद्ध करके कला प्रेमियों की कोर्ट में पेश किया जाए , इस सोच के साथ फूड़ी
और अब मुंतज़िर से जतिन अपने अंदर के कवि को लोगों के रूबरू करा रहे हैं ।
जतिन का कहना है उर्दू की गजलों को देवनागरी में लिखने का मकसद यह रहा कि उनकी तरह कई लोग उर्दू जुबान समझते हैं लेकिन लिख नहीं पाते , इसलिए वह साहित्यप्रेमी भी उर्दू की गजलों का स्वाद देवनागरी में ले पाएंगे।