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चंडीगढ़ की वजह से हमारी हरियाणवी पहचान और सांस्कृतिक धरोहर खत्म हो रही है : बदरान

आंध्र प्रदेश से अलग हो तेलंगाना, उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड व बिहार से झारखंड,पँजाब से हिमाचल को अलग होने पर हइकोर्ट् व राजधानी मिली है तो हरियाणा को क्यों नही? -बदराण

57 वर्ष बाद हरियाणा आज भी अधूरा सा है :बदरान

प्रजातांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करने की भी स्वतंत्रता नहीं है हरियाणावासियों को चंडीगढ़ में :बदरान

चंडीगढ़ : चंडीगढ़ प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू होकर हरियाणा की धरती पर अलग राजधानी बनाने के लिए हरियाणा- पंजाब- चंडीगढ़ काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष रणधीर सिंह बदरान ने “हरियाणा बनाओ अभियान” का आगाज कर दिया है।इनका कहना है कि आंध्र प्रदेश से अलग हो तेलंगाना, उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड व बिहार से झारखंड,पँजाब से हिमाचल को अलग होने पर हइकोर्ट् व राजधानी मिली है तो हरियाणा को क्यों नही?
बदराण ने कहा कि
यह एक तरह का सत्याग्रह आंदोलन होगा जो कि प्रदेश भर में सांकेतिक भूख हड़ताल के माध्यम से जहां जनता को एकजुट करने की कोशिश करेगा वहीं जनप्रतिनिधियों को इस मांग पर एकमत होने पर भी मजबूर करेगा। इस विषय पर बातचीत के दौरान बदरान ने बताया कि वह एक-एक कर हर जिले में बुद्धिजीवी वर्ग अधिवक्ताओं से बैठकें कर रहे हैं। जल्द ही वह प्रदेश भर में सभी सांसदों और विधायकों को भी मिलेंगे और पब्लिक ऑपिनियन करके सत्ता पक्ष और विपक्ष को उनका स्टैंड क्लियर करने के लिए भी दबाव बनाएंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणावासियों की सांस्कृतिक पहचान और धरोहर बचाने के लिए आज हमारी अलग राजधानी एक बड़ी जरूरत है। क्योंकि जो जो राज्य अलग बने हैं सभी ने अपनी अलग राजधानी बनाई है।

हरियाणा बनाओ अभियान” का लक्ष्य क्या है- पर बदरान
कहते हैं कि हरियाणा को अलग बने 57 साल बीत जाने के बावजूद आज हमारी ना तो अलग राजधानी है, ना ही अलग हाईकोर्ट है और ना ही अलग विधानसभा है। हरियाणा निवासियों को कई बार बड़ा अटपटा सा लगता है और बहुत सी समस्याएं हमारे लोगों को इस कारण उठानी पड़ती है। लगातार हम इसकी मांग भी करते रहे हैं। पिछले तीन-चार साल से हमारे प्रयास काफी तेज हुए हैं। इसे लेकर हम कई बार एसोसिएशंस व जनता की नुमाइंदों विधायकों- सांसदों और स्वम् मुख्यमंत्री तक से भी मिल चुके हैं। अब अति शीघ्र एक ओपिनियन बनाने की जरूरत है जो जल्दी ही आप देखेंगे भी।
बदराण का कहना है कि लगभग कुल 6.5 लाख के करीब कैस हाईकोर्ट में पेंडिंग है। जिसमें पंजाब और हरियाणा का अनुपात हम 40- 60 मानते हैं। हरियाणा में केस ज्यादा है इसलिए हरियाणा के 60 फ़ीसदी हाईकोर्ट में केस भी पेंडिंग होंगे। अगर हम जिला लेवल पर केसिज की बात करें तो हरियाणा में 14 लाख और पंजाब में लगभग 8 लाख की पेंडेंसी है। अगर हरियाणा का अलग हाईकोर्ट बनेगा तो जनता को जल्द और सस्ता न्याय मिलेगा। इकट्ठे राजधानी से काफी परेशानियां भी होती हैं। अलग राजधानी मिलने के बाद जनता को अधिक सुविधाएं मिलेगी। हरियाणा की सांस्कृतिक पहचान जो आज कम हो चुकी है वह वापस लौटेगी। इसलिए ही हमारी मांग है कि हरियाणा की भूमि पर ही हमारी राजधानी बनाई जाए। इसीलिए एक अभियान की जरूरत पड़ी। बुद्धिजीवी वर्ग हमारी इस मांग के पूरी तरह से पक्षधर है। हमने शाहाबाद -इंद्री- पंचकूला- कालका बार एसोसिएशनस के साथ बैठकें भी की हैं। हम सभी जिलों में इसे एक अभियान के तौर पर ले जा रहे हैं। आने वाले समय में इसे पब्लिकली ऑपिनियन पोल बनाने के लिए एक सांकेतिक भूख हड़ताल का निर्णय भी हमने लिया है जो हर जिले में हम एक-एक दिन करेंगे। इस विषय पर सत्ता पक्ष और विपक्ष को एक मत लाया जाना बेहद जरूरी है। राजनीतिक दलों को इस पर काम करना चाहिए हम चाहेंगे कि लोकसभा चुनाव के आचार संहिता लगने में अभी लगभग एक महीने से ज्यादा वक्त शेष है उससे पहले पहले केंद्र और हरियाणा सरकार अगर चाहे तो इस पर फैसला हो सकता है। राजधानी अलग बनाने को लेकर हमारे प्रयास लगातार जारी हैं।
बदराण कहते है कि अलग हाई कोर्ट – राजधानी कहीं भी बने लेकिन हरियाणा की धरती पर बननी चाहिए। कहां क्या स्थापित हो इस पर सभी दलों को एक सहमत होना होगा। पिछले दिनों हरियाणा से प्रदर्शन के लिए प्रतिनिधि चंडीगढ़ पहुंचे तो उन्हें चंडीगढ़ में घुसने तक नहीं दिया गया। ट्रेड यूनियन -किसान नेता- कर्मचारियों के प्रदर्शन करने वालो के साथ हाउसिंग बोर्ड चौक पर क्या हाल किया गया, सभी जानते हैं। अगर हमारी अलग राजधानी होगी तो प्रजातांत्रिक तरीके से कोई भी अपना प्रदर्शन कर सकेगा। लेकिन चंडीगढ़ में ऐसी स्वतंत्रता नहीं है। चंडीगढ़ की वजह से हमारी अपनी पहचान खत्म हो रही है। हमारी सांस्कृतिक धरोहर खत्म हो रही है। सामाजिक सिस्टम अब पहले जैसा नहीं रहा। अलग राजधानी होगी तो हरियाणा का विकास भी अधिक होगा। लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रशासनिक स्तर पर ज्यादा कंट्रोल होगा। कानून व्यवस्था ओर अच्छी होगी। दिल्ली को तीन ओर से घेरे हुए हरियाणा की अगर अलग राजधानी होगी तो उसकी एक बड़ी पहचान बनेगी। विकास का पहिया तो ओर अधिक घूमेगा, हरियाणा विश्व मानचित्र पर भी दिखेगा, यही हमारा प्रयास है।
बदराण ने बताया कि
हाल ही में हमने सभी विधायकों को पत्र लिखे हैं। हम लगातार अपने साथियों से बातचीत कर रहे हैं, क्योंकि हम जल्द ही सभी विधायकों और सांसदों से मिलने का अभियान चलाने जा रहे हैं। सभी इस मुद्दे पर एकजुट हो, सहमत हो, सभी की राय एक हो, इसे लेकर हम जनप्रतिनिधियों से मिलेंगे ताकि हरियाणा की राजधानी यहां लाने में वह भी सहमत हो पाए जो कोई सहमत नहीं होगा उसे जनता के सामने जवाबदेही देनी होगी। जनता का उन्हें विरोध झेलना होगा। आज समय आ गया है कि सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, राजनीतिक सोच से दूर होकर राजधानी पर अपना स्टैंड क्लियर करें। पब्लिकली ओपिनियन तैयार कर सभी दलों को सहमत करेंगे, क्योंकि एक दल सहमत हो और दूसरा न हो तो इससे समस्या पैदा होगी और मामला लटक जाएगा। इसलिए सभी दलों को चाहिए कि इसके पक्ष में आ जाएं ताकि हरियाणा को उनका अधिकार मिल पाए।

बदराण ने कहा कि हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह जल्द अलग राजधानी के भी प्रयास तेज करें। राजधानी हरियाणा की धरती पर बने, विधानसभा भी हरियाणा की धरती पर बने, क्योंकि पीरासीमन के बाद बढ़ने वाली विधायकों की संख्या के बाद पुरानी विधानसभा में उनका बैठना संभव नहीं होगा। इसलिए एक मॉडर्न विधानसभा हरियाणा की धरती पर बने। इसी से हरियाणा की पहचान बनेगी और विकास में भी तेजी आएगी। इसलिए सरकार से निवेदन है कि वह एक बड़ा राजनीतिक निर्णय ले। हरियाणा की अलग विधानसभा- अलग हाई कोर्ट और अलग राजधानी बने। आज 57 साल के बाद भी हरियाणा अधूरा सा लगता है और “हरियाणा बनाओ अभियान” का लक्ष्य भी हमारा यही है। आज तक जो भी अलग राज्य बने हैं सभी ने अपनी अलग हाईकोर्ट- विधानसभा- राजधानी बनाई है। आंध्र प्रदेश से तेलंगाना अलग हुए, उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड हुए या बिहार से झारखंड अलग हुए सभी ने अपनी पहचान बनाई है। हिमाचल ने भी अलग होकर अपनी अलग राजधानी पंजाब से अलग बनाई है। इसी तरह हरियाणा के लोग भी उम्मीद करते हैं कि शीघ्र ही सभी राजनीतिक दल एक होकर इसके प्रयास करें।

dawn punjab
Author: dawn punjab

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