Chandigarh: 18th विंटर नेशनल थियेटर फेस्टिवल के आज के रूबरू सेशन में स्थानीय थिएटर कलाकार एक मंजे हुए अभिनेता, दूरदर्शी निर्देशक, बा – कमाल वॉइस आर्टिस्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश शर्मा जी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और युवा कलाकारों के साथ थिएटर की बारीकियां सांझी करने के साथ-साथ जीवन के उतार-चढ़ाव भी सांझा किये।
मुकेश शर्मा जी ने अपने रंगमंच सफर के शुरुआती दौर को याद करते हुए बताया की 1992 में मैंने पहली बार अपने अंदर एक छुपे हुए कलाकार को देखा I तभी चंडीगढ़ की एक स्थानीय रामलीला में भाग लिया और फिर पता ही नही चला मैं रंगमंच में डूबता ही चला गया I सन् 2000 में हरियाणा संगीत नाटक अकेडमी और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ने मिलकर नाटक के कलाकारों के लिये एक महीने की रेसिडेंसिल् कार्यशाला का आयोजन किया I उस कार्यशाला में बहुत कुछ सीखने को मिला और बहुत सी प्रसिद्ध शख्सियतों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ। उस कार्यशाला ने मेरी सोच को बदल दिया, मेरे अंदर के कलाकार को निखार मिला, गज़ब का आत्मविश्वास मिला और मैंने रुख किया रंगमंच की ओर । फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और सौभाग्य से बहुत से निर्देशकों के साथ काम किया, उनसे सीखा । मंच पर लगभग 50 से ज्यादा नाटकों की सैकड़ो प्रस्तुतियां करने का मौका मिला I देश ही नहीं अपितु अमेरिका और कनाडा में भी नाटकों का मंचन करने का अवसर प्रदान हुआ I धीरे-धीरे लोग चेहरा पहचानने लगे और फिर टीवी ऐडस, पंजाबी गीत , सीरियल्स, फिल्म की दुनिया ने भी दोनों बाहें खोलकर स्वागत किया। चंडीगढ़ में अपने थिएटर ग्रुप संवाद थिएटर ग्रुप की नींव रखी और धीरे धीरे निर्देशन के क्षेत्र में भी काम कर रहा हूं।
बाकौल मुकेश शर्मा, यह एक सीखने रहने की प्रक्रिया है और मुझे स्वयं लगता है कि मुझे अभी बहुत सी चीजें सीखनी बाकी है । मुझे लगता है कि जीवन कम होता है किसी भी विद्यार्थी के लिए कुछ सीखने के लिए।
गौरतलब है कि लगभग 85 नाटकों का निर्देशन कर चुके मुकेश शर्मा जी ने एक अभिनेता के रूप में भारत के विभिन्न हिस्सों और विदेश में 500 से ज्यादा नाट्य शोज़ किए हैं। और हाल ही में रिलीज़ हुई हिंदी फिल्म “बबली बाउंसर” और पंजाबी फिल्म “मित्र दा ना चलदा” खूब चर्चा में रही। छोटे पर्दे की बात करें तो ज़ी टीवी, लाइफ ओके, पीटीसी, डीडी नेशनल, डीडी किशन, यूट्यूब जैसे चैनलो पर बहुत से यादगार किरदार किये। आज भी जब कोई मुझे मेरे नाम की बजाय मेरे किरदार के नाम से पुकारता है तो गर्व का वह क्षण भुलाए नहीं भूलता।
और जब भी समय मिलता है तो प्रयास रहता है कि अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर ज्यादा से ज्यादा लघु फिल्में बनाई जाए । जिसके चलते बीते वर्षों में कई लघु फिल्में स्वयं लिखी और उनका निर्देशन किया। जहां से हौसला अफजाई हुई और फिर एक पंजाबी फुल लेंथ फिल्म का निर्देशन भी किया, कि जल्द ही दर्शकों के समक्ष होगी।
रंगमंच एवं सिनेमा में अपने तीन दशक से भी ज्यादा के योगदान के चलते हैं मुकेश शर्मा जी को वर्ष 2020 में चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से राज्य पुरस्कार, नेक चंद उत्कृष्टता पुरस्कार, भरत मुनि पुरस्कार, लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, सार्वभौमिक पुरस्कार, चंडीगढ़ से छह बार “सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार” जीते एवं तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता।